रिपोर्टर-अंगद कुमार
जीरादेई प्रखण्ड क्षेत्र के तीतरा में राष्ट्र सृजन अभियान के क्षेत्रीय कार्यालय में सोमवार को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि राष्ट्रसृजन अभियान के राष्ट्रीय महासचिव ललितेश्वर कुमार की अध्यक्षता में मनाई गई ।
ललितेश्वर कुमार ने कहा कि गांधी जी अहिंसा के महान हस्ताक्षर थे जो भारत के आजादी के रूप में अपने को स्थापित कर लिए तथा अनेकों देश ने इनके दर्शन को आत्मसात करता है । उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी का जीवन दर्शन राजनीति में सुचिता का पाठ पढ़ाता है । उन्होंने बताया कि गांधी जी का जीवन दर्शन आज भी प्रांसगिक है व सदैव रहेगा।
अभियान के जीलाध्यक्ष श्री अशोक कुमार राय ने बताया कि उन्हें संसार में साधारण जनता महात्मा गांधी के नाम से जानती है। संस्कृत भाषा में महात्मा अथवा महान आत्मा एक सम्मान सूचक शब्द है। गांधी को महात्मा के नाम से सबसे पहले 1915 में राजवैद्य जीवराम कालिदास ने संबोधित किया था। एक अन्य मत के अनुसार स्वामी श्रद्धानन्द ने 1915 मे महात्मा की उपाधि दी थी, तीसरा मत ये है कि गुरु रविंद्रनाथ टैगोर ने महात्मा की उपाधि प्रदान की थी। 12 अप्रैल 1919 को अपने एक लेख मे |उन्हें बापू (गुजराती भाषा में બાપુ बापू अर्थात् पिता) के नाम से भी स्मरण किया जाता है। एक मत के अनुसार गांधीजी को बापू सम्बोधित करने वाले प्रथम व्यक्ति उनके साबरमती आश्रम के शिष्य थे सुभाष चन्द्र बोस ने 6 जुलाई 1944 को रंगून रेडियो से गांधी जी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित करते हुए आज़ाद हिन्द फौज के सैनिकों के लिये उनका आशीर्वाद और शुभकामनाएँ माँगीं थीं।
इस मौके पर ई अंकित मिश्र, बिहार मीडिया प्रभारी आशीष मिश्र, चितरंजन कुमार,सानू कुमार,विनय कुमार तिवारी,प्रमोद कुमार राय ,डॉ प्रेम शर्मा,मनोज कुमार, मनोज कुमार ,जय प्रकाश पटवा आदि उपस्थित थे ।