गोपालगंज अनुमंडल डीएसपी ने एक केस में किया बड़ा खेल। प्रभारी मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी मानवेंद्र मिश्रा की अदालत ने एसपी को जांच कर कार्रवाई करने का दिया आदेश। डीएसपी संजीव कुमार ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए केस से हटवा दी थी हत्या के प्रयास की धारा
गोपालगंज। गोपालगंज के एसडीपीओ हत्या के प्रयास से जुड़े एक मामले में गड़बड़ी के आरोप में फंसते दिख रहे हैं। आरोप है कि अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, गोपालगंज संजीव कुमार ने हत्या के प्रयास के एक केस में 'बड़ा खेल' किया है। डीएसपी की इस बड़ी गड़बड़ी को प्रभारी मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी सह एमपी/एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश मानवेंद्र मिश्रा ने गंभीरता से लिया है।
आइओ पर दबाव बनाकर हटवा दी धारा
आरोप है कि एसडीपीओ ने एक मामले में पद का दुरुपयोग करते हुए डीएसपी ने अनुसंधानकर्ता को निर्देश देकर हत्या के प्रयास की धारा हटवा दी थी, जबकि दो पक्षों के बीच हुई मारपीट व फायरिंग में दोनों पक्ष के एक-एक व्यक्ति को गोली लग गई थी। इस दौरान दोनों पक्षों से कुल 10 लोग घायल हो गए थे।
एक महीने के अंदर होगी मामले की जांच
इस मामले में घटनास्थल से पुलिस ने एक कारतूस व चार खोखा बरामद किया था। अदालत ने पुलिस अधीक्षक, गोपालगंज आनंद कुमार को जांच कर डीएसपी के विरुद्ध कार्रवाई करने का आदेश दिया है। अदालत के आदेश के अनुसार, 30 दिनों के अंदर एसपी को जांच पूरी की गई कार्रवाई से न्यायालय को अवगत कराना होगा।
अदालत ने प्रथम दृष्टया सही पाए आरोप
अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, गोपालगंज संजीव कुमार पर लगे आरोप धारा-307( हत्या का प्रयास) का आरोप पत्र में समावेश नहीं करने का निर्देश अनुसंधानकर्ता को देना, सूचक के अधिवक्ता का पुलिस के अभियुक्तों से मिल जाना तथा अनैतिक लाभ प्राप्त कर अभियुक्तों के पक्ष में कार्य करना यानी, गंभीर अपराध हत्या के प्रयास का लघुकरण करने को अदालत ने प्रथम दृष्ट्या सत्य पाया है।
अदालत ने सीनियर अफसरों तक भेजा आदेश
यह जानकारी अभियोजन पदाधिकारी आनंद शर्मा एवं आवेदक के अधिवक्ता विनय कुमार पांडेय ने दी। अदालत के इस आदेश से पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है। अदालत के आदेश की छायाप्रति पुलिस महानिदेशक अपराध अनुसंधान विभाग पटना, पुलिस उपमहानिरीक्षक सारण एवं पुलिस अधीक्षक गोपालगंज को भेजी गई है।
मई महीने का है मामला
इसके माध्यम से सवाल किया गया है कि आखिर किस परिस्थिति में गोपालगंज अनुमंडल डीएसपी संजीव कुमार ने 26 अगस्त को अनुसंधानकर्ता को प्राथमिकी में अंकित धारा-307 को आरोप पत्र में समावेश नहीं करने का निर्देश दिया। न्यायिक सूत्रों के अनुसार, 15 मई 2022 को विशंभरपुर थाना में मारपीट एवं फायरिंग की घटना की दो अलग-अलग प्राथमिकी दोनों पक्षों की ओर से कराई गई थी।
छह नामजद पर हुई थी प्राथमिकी
कांड संख्या 75/2022 में विशंभरपुर थाना क्षेत्र के सिपाया खास गांव निवासी विजय राय के आवेदन के आधार पर कुल छह नामजद एवं चार से पांच अज्ञात को आरोपित बनाया था। इनके विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा-147, 148, 149, 341, 323, 307, 504 एवं आयुध अधिनियम की धारा 27 के अंतर्गत प्राथमिकी कराई गई थी। फायरिंग के दौरान विजय राय एक गोली लगने से जख्मी हुए थे, जबकि उनके परिवार के चार लोग मारपीट में घायल हो गए थे।
दूसरे पक्ष ने दर्ज कराया था केस
इसी केस के आरोप पत्र में डीएसपी ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अनुसंधानकर्ता से हत्या के प्रयास की धारा-307 हटवा दी। वहीं, दूसरे पक्ष के सुरेश राय गोली लगने से जख्मी हुए थे। उनके परिवार के चार लोग मारपीट में घायल हो गए थे। दूसरे पक्ष से संजय राय ने कांड संख्या-74/2022 में 12 लोगों नामजद को आरोपित बनाया था।
एसपी कर चुके हैं से फायरिंग की पुष्टि
पुलिस अधीक्षक, गोपालगंज आनंद कुमार ने संयुक्त प्रतिवेदन-2 में विशंभरपुर थाना कांड संख्या 74/2022 एवं 75/2022 के संबंध में दोनों पक्षों के बीच फायरिंग होने का वीडियो वायरल होने की पुष्टि की है। एसपी ने स्पष्ट रूप से अंकित किया है कि घटना के समय प्रथम पक्ष लाइसेंसी दो नाली रायफल से गोली फायर कर रहे थे तथा दूसरे पक्ष से मुन्ना राय एवं अनूप राय अवैध देसी कट्टा से गोली फायर कर रहे थे