अपने चहेतों से गमछा बटवा कर क्या भोजपुरी फिल्म अभिनेता खेसारी लाल यादव गरीबो का उड़ा रहें हैं मजाक!

07 MAY 2020
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छपरा(सरण) नेता और अभिनेता में गरीबों को फर्क तब नही लगा जब एक भोजपुरिया फ़िल्म स्टार द्वारा गरीबो को एक गमछा और कुछ सामान देकर फोटो खिंचवा कर सोशल मीडिया, अखबार के माध्यम से गिरीबो के प्रति हमदर्दी दिखने के चक्कर मे गरीबी का  मजाक उड़ाया जा रहा है। कुछ इसी तरह की बाते आजकल स्वभिमानी गरीबों के दिल मे उबाल लें रहा है।ऐसे तो गरीबों की बातें समाचार पत्रों में कभी-कभार ही प्रकाशित होती है ।यूं तो गरीबों की आवाज सुनने वाले इस दुनिया में बहुत ही कम लोग होते हैं। सब अपने जरूरत के हिसाब से गरीबों के गरीबी का फायदा उठाने की फिराक में रहते हैं ।चाहे वह  नेता अपने वोट के लिए चाहे अभिनेता अपनी फिल्म चमकाने के लिए,अक्सर गरीबों के नाम पर फिल्म बनते हैं तो नेता गरीबों के नाम पर राजनीति करते हैं फिर भी गरीब  गरीबी रहता है ।और उसकी गरीबी लोगों के लिए मनोरंजन का साधन तो नेता के लिए वोट बैंक बनकर रह जाती है । ऐसे ही एक शख्स से हमारी मुलाकात हुई जिसने अपना नाम अखबार में नही छापने के शर्त पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुये इन अभिनेता नेताओं पर गंभीर आरोप लगाते हुए  कहा कि क्या खेसारी लाल यादव गमछा देखकर गरीबों का मजाक नहीं उड़ा रहे हैं।  उसने कहा कि जब हमने पेपर के छोटे से टुकड़े पर देखा  कि 4 लोग खड़े हैं ।और एक व्यक्ति द्वारा गमछा दिया जा रहा है और तीन छोटे-छोटे बोरियों में न जाने  क्या चीज रखा हुआ है, और लिखा गया है कि  खेसारी लाल के पहल पर  गरीबों को किया गया मदद, अब आप ही बताइए यह गरीबी को लेकर मजाक नहीं तो और क्या है। ऐसे तो  सभी  सबल व्यक्ति निस्सहाय को दबाते हैं  लेकिन निस्सहाय की हाय उस सारे सफल व्यक्ति को खा जाती है। जब आप उसके गरीबी को  मजाक बनाने की कोशिश करते हैं।उसकी बातें दिलों को झकझोर  देने वाली थी।उसने कहा कि गरीब  होना कोई पाप नहीं है  यहां पर सभी लोग अपने कर्म भाग से अमीर और गरीब होते हैं। लेकिन गरीबी का मजाक उड़ाना  सबसे बड़ा गुनाह है।जिस गुनाह के लिए भगवान भी कभी किसी को क्षमा नहीं करते हैं।नेता और अभिनेता गरीबो की गरीबी का मजाक उड़ान बन्द करें । उसने ने कहा कि देश दुनिया मे कोरोना महामारी का रूप ले चुका है । देश मे लॉक डाउन है । गरीब ,मजदूर, रिक्शा,ठेला,टेक्सी, टेम्पू चालक के परिवार में भुखमरी की स्थिति जैसे समस्याओं को दूर करने के लिये केंद्र और राज्य सरकार आर्थिक मदद कर रही है ।
इसी  कोरोना संक्रमण  में लॉक डाउन के कारण अपने अपने क्षेत्रों में छोटे बड़े नेतागण के साथ साथ अभिनेतागण भी चंद गरीबो को राहत सामग्री पहुच कर गरीबो की फोटो खींचकर अखबारों में खबर छपवाने में मशगूल है । नेता अपनी छवि और चुनाव की तैयारी करने में और अभिनेता अपनी रील लाईफ को रियल लाईफ बनाने और अपनी फिल्म की प्रचार के साथ अपनी छवि चमकने में लगे हुये है।
  इसी कड़ी में फिल्म अभिनेता खेसारी लाल यादव भी अपने क्षेत्र में अपने चहेते कुछ गरीबो को एक एक गमछा और राहत का कुछ सामान देकर अपनी छवि चमकने और गरीबो की छवि धूमिल करने का में मशगूल है । उसने ने अपना नाम नही छपने के शर्त पर खेसारी लाल यादव पर आरोप लगाया है ।


 यह बातें सुनने में कुछ अटपटा लगता है । लेकिन यह हकित भी हो सकता है। क्योंकि भोजपुरी  फिल्म अभिनेता खेसारी लाल यादव द्वारा अपने गृह जिला छपरा के  रसूलपुर में अपने समर्थकों द्वारा अपने चहेते चंद अखबार  बेचने वालों गरीबो के बीच इस विकट परिस्थिति में  एक एक गमछा के साथ कुछ अन्य सामग्री प्रदान करने की खबरे अखबार में प्रकाशित हुई थी।जिसे गरीबो के दिल को चोट पहुची और उन लोगो के बीच से यह बातें निकल कर आ रही है।अखबार में खबर छपने के बाद कुछ लोगो ने नाम नही छपने के शर्त पर ऐतराज जताते हुए बताया गया कि गांव घर परिवार का हीरो खेसारी लाल यादव  अब नेताओ की तरह गरीबो की गरीबी का मजाक उड़ाया है जो गलत है ।हालांकि फिल्म अभिनेता खेसारी लाल यादव इसके पूर्व बिहार में आपदा के समय गरीबो की मदद करने की बड़े-बड़े दावे भी किये थे।लेकिन कोरोना महामारी के विकट परिस्थिति से जब पूरा देश जूझ रहा है तो उनके  सहायता उनके जिले के गरीबों के पास भी नहीं पहुंच रहा है । 

छपरा जिले के वैसे लोग आज सोचने पर मजबूर हैं की भोजपुरिया सुपरस्टार हीरो खेसारी लाल यादव की फिल्म देखने के लिए ठेला ,रेक्सा, टेम्पू   छपरा के हॉल में घंटों लंबे लाइन में खड़े होकर टिकट कटा कर  फ़िल्म देख कर  खेसारी को खेसारी से सुपरस्टार हीरो बना दिया लेकिन जब वही ठेला  रिक्शावाले पर विपदा पड़ी तो खेसारी न जाने कहां गायब हो गया। कोरोना महामारी में इस हीरो द्वारा अपने क्षेत्र के गरीबो की मदद दिल खोल कर किया है तो आवाज आती है कि नहीं ।  क्या खेसारी लाल यादव  सही में गरीबों को मदद करते हैं या फिल्म के पर्दे पर  लोगों के साथ संवेदना व्यक्त करते हुए अच्छे लगते हैं । लोगो  का कहना है कि फ़िल्म स्टार खेसारी लाल यादव काश फ़िल्म में पर्दे पर रील लाईफ की तरह  रियल लाईफ में भी गरीबो की मदद कोरोना को लेकर चल रहे लॉक डाउन के समय दिल खोल कर करते । 

खेसारी लाल का फिल्म देख कर  अपने पेट की मिटा रहा है भूख रिक्शावाला, खेसारी आएंगे करेंगे मदद मन में है विश्वास

कोरोना के चलते पूरा देश लॉक डाउन में है। लॉक डाउन को लेकर समाचार संकलन करने के दौरान हमें एक रिक्शेवा दिखा जो अपने मोबाइल पर  खेसारी लाल यादव का फिल्म चला कर देख रहा था । तो  उससे हमने  पूछा कि भाई इस परिस्थिति में भी तुम भूखे हो उसके बाद भी खेसारी लाल के फिल्म को देख रहे हो तो उसने बताया कि मैं एक वक्त भूखा रहकर भी टिकट लेकर सिनेमा हॉल में जाकर तीन घण्टे खेसारी लाल यादव का फिल्म  इसलिए देखा करता था हमारे जिला का नाम खेसारी लाल यादव रौशन करेंगे। लेकिन पूरा देश लॉग डाउन  होने के चलते मेरा रिक्शा का रोजगार बंद हो चला है तथा मेरे पास खाने के पैसे भी अभी नहीं है।  फिर भी मैं खेसारी लाल के फिल्म को मोबाइल पर देख रहा हूं ताकि  यूट्यूब पर उनके  चाहने वालों की संख्या बढ़ती रहें और यूट्यूब के माध्यम से खेसारी के पास पैसा पहुचा रहें ताकि वह हमारी तर भूखा न रह सके।कहते हैं कि भगवान को अपने भक्तों से बड़ा प्रेम होता है और कुछ लोगों के लिए इस कलयुग में फिल्म स्टार भी उन्हें भगवान की तरह ही लगते हैं।इस रिक्शेवाले को विश्वास है कि जिस तरह खेसारी लाल यादव फिल्म के पर्दे पर आकर एक गुंडे से एक लड़की की इज्जत बचाते हैं और एक भूखे गरीब  को खाना पहुंचाते हैं।ठीक उसी तरह खेसारी लाल यादव मेरे घर हम को खाना पहुंचाने जरूर आयेंगे और हमारी मदद करेंगे  । लेकिन पुनः रिक्शा चालक कहता है कि यह शायद एक सपना है । यह हकीकत नहीं हो सकता , क्योंकि यह फिल्म स्टार पर्दे पर जितना नेक काम करते हैं , शायद हकीकत में उससे कोसो दूर रहते हैं । रिक्शेवाले का नाम पता गोपनीय इसलिए रखा गया कि पहले तो अपनी नाम नही छपने के शर्त पर यह बात कही और दूसरी तरफ गरीब रिक्शावाला की गरीबी का मजाक नही उड़ सके।

सूत्रों की माने तो  इस विकट परिस्थिति में अभी तक खेसारी लाल यादव के द्वारा चंद लोगो को छोड़ दिया जाय तो उनके गृह जिला का अधिकांश लोगो को खेसारी के राहत सामग्री  नही मिल  है । सूत्रों की माने तो यह हकीकत है कि खेसारी लाल यादव ने अपने कुछ लोगों के द्वारा चंद अखबार पेपर बेचने वालों को गमछा के साथ कुछ खाने-पीने की सामग्री भी दिए हैं । ताकि खेसारी लाल का नाम उनके गृह  जिला में  रौशन हो सके औरअखबारो में खेसारी लाल यादव का फोटो गरीबो की मदद करने वाले मसीहा के रूप में छप सके । भोजपुरिया स्टार के गृह जिला के अधिकांश लोगो  अभी भी इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते हैं कि खेसारी लाल यादव  के द्वारा किसी गरीब को मदद किया गया होगा। जिला वाले की माने तो  खेसारी लाल यादव पता नहीं बिहार के किस कोने में गरीब लोगों को मदद की है। खेसारी लाल यादव की मदद करने की  बातें हमलोग केवल अखबार और टीवी के माध्यम से अथवा फेसबुक के माध्यम से ही जान सके हैं । जिला वालो की माने तो खेसारी लाल यादव के द्वारा किया गया मदद हम लोग के पास तो अभी तक कोई सामग्री नहीं पहुंच पाया है।

यह गजब विडंबना है कि जब गरीब भूखा रहता है तो लोग उसे गमछा देते हैं और फोटो खिंचते हैं और कहते हैं कि हम गरीबो के मददगार है। क्या यह गरीबो की गरीबी का मजाक नहीं तो और क्या हो सकता है।जब नेता और अभिनेता के पास करोड़ो रुपए हैं  लेकिन कौन गरीब  मांगने जा रहा है।आपकी दरियादिली की भी किसी गरीब को इंतजार नहीं है  । फिर आप महज ₹100 का गमछा और चंद समान चंद गरीबो को देकर इन गरीबों का कम से कम मजाक उड़ाना तो बंद कीजिए।आपका पैसा आपको मुबारक हो।लेकिन इन गरीबों का मजाक उड़ाना कहीं से भी सही नहीं दिखाई देता है। 
सबसे दिलचस्प बात यह है कि कोरोना संक्रमण का आज यह दौर चल रहा है की गरीबों को मदद करने के लिए नेता और अभिनेता  पहुंचते हैं और 1 किलो आलू देते हैं और 30 फोटो खिंचवा कर अखबार के साथ साथ  फेसबुक व्हाट्सएप पर डाल कर अपने आप को गरीबो का मसीहा साबित करने में मशगूल हैं । 
जब बड़े-बड़े लोगों के द्वारा  इन गरीबों को विकट परिस्थिति में जब चंद गरीबो को एक एक गमछा और चंद समान दिया जाता है। जब उन्हें खाने की इच्छा होती है तो वैसे गरीबों के दिल में उस समय इन कलाकारों के प्रति क्या भावना जागृत होती होगी आप खुद समझ सकते हैं। ऐसे तो अरबपति कलाकार से कोई क्या उम्मीद कर सकता है।अपने लोगों द्वारा कुछ लोगों में गमछा बांटकर गरीबों के प्रति हमदर्दी दिखाना अजब सा लगता है। अब तो ऐसे महसूस हो रहा है कि ऐसे कलाकार फिल्मों में  गरीबों से हमदर्दी दिखाते हैं। वास्तविक जीवन में यही है जो सामने गमछा हकीकत दिखा रहा है। कलाकार होते हैं तो लोग उन्हें प्यार करते हैं और इन्हीं प्यार के चलते कलाकार गरीबों को भूल जाते हैं । लेकिन जब  इनकी गरीबो की बदद्दुआ लगेगी तो यह उस जगह से नीचे भी आ सकते हैं ।

भोजपुरी भाषा में अश्लीलता बढ़ाने का खेसारी पर लगता रहा है आरोप

पहला मौका नहीं जब खेसारी लाल पर ऐसे आरोप लगे हो । इसके पहले भी खेसारी लाल भोजपुरी भाषा में अश्लीलता लाने को लेकर गंभीर आरोप एक बहुत बड़े तबके के लोगों द्वारा लगाया गया था ।  बहुत से लोगों का मानना है कि भोजपुरी भाषा में अश्लीलता का बढ़ावा खेसारी लाल के चलते आया जिसके चलते लोग आज भोजपुरी भाषा के उन गीतों  तो का सुनना पसंद नहीं करते हैं जो इन जैसे कलाकारों द्वारा गाए जा रहे हैं । लेकिन इस बात को लेकर शायद इन कलाकारों के मन में कोई मलाल नहीं रहा कि वे जो गीत गा रहे हैं । क्या ये कलाकार गाने जो गाते है  खुद अपने बहन बेटियों के साथ बैठकर  सुनना पसंद कर पाएंगे । वैसे कुछ कलाकारो के लिए सब कुछ पैसा ही है।
 इन कलाकारों द्वारा देवर भौजाई जैसे पवित्र रिश्तो को भी गीतों के माध्यम से बदनाम करने की भरपूर  कोशिश की गई , जिसके बाद से बहुत बड़ा धड़ा इन कलाकारों के विरोध में खड़ा हो चला है।  इससे कोई इनकार नहीं कर सकता है । ऐसे कलाकार मीडिया के इन सवालों से भी लगातार भागते हुए नजर आते है । हालांकि खेसारी लाल से कोरोना के विकट परिस्थिति में गरीबों को मदद करने के लिए क्या पहल की जा रही है इसको लेकर फोन से संपर्क करने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन इस संबंध में बातें करना मुनासिब नहीं समझा और फोन नहीं उठाए।


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