फर्रुखाबाद. उत्तर प्रदेश पुलिस एक बार फिर अपनी हरकतों की वजह से चर्चा में है. 10 माह पहले एक सिपाही का ट्रांसफर पुलिस लाइन से जहानगंज थाना में कर दिया गया था. लेकिन वह ड्यूटी पर नहीं पहुंचा और लगभग साढ़े तीन साल तक लापता रहा. लेकिन इस दौरान भी वह पुलिस विभाग से हर माह सैलरी लेता रहा. पुलिस विभाग ने इस कार्यकाल में ड्यूटी से नदारद सिपाही को 17 लाख 22 हज़ार का भुगतान कर दिया. जिसका खुलासा पिछले शुक्रावार को हुई उसकी मौत के बाद हुआ. जिसके बाद पुलिस महकमे के आला अधिकारियों के होश उड़ गए. पुलिस लाइन कैश पटल, जीडी ऑफिस और अकॉउंट ब्रांच में अफ़रातफ़री का माहौल बन गया. देर रात को सभी पटलों के रिकॉर्ड निकलवाए गए और मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं.
मौत के बाद हुआ खुलासा
जानकारी के अनुसार कानपुर देहात के ग्राम कपूरपुर के रहने वाला नरेश सिंह साल 1995 में पुलिस महकमे में भर्ती हुआ था. जिसके बाद वर्ष 2015 में उसका ट्रांसफर जनपद फर्रुखाबाद में हो गया था. 4 अप्रैल, 2016 को नरेश का तबादला पुलिस लाइन से जहानबाद में हो गया था. जिसके बाद से ही उसने ड्यूटी नहीं ज्वाइन की.पुलिस लाइन के कर्मचारियों और अधिकारियों की मिलीभगत के चलते नरेश सिंह बिना ऑफिस गए साढ़े तीन साल तक वेतन लेता रहा. पुलिस विभाग ने नरेश को 17 लाख 22 हज़ार का भुगतान कर दिया. जिसका खुलासा पिछले शुक्रवार को हुई उसकी मौत के बाद हुआ.
दोषियों को नहीं जायेगा बख्शा
पुलिस लाइन के अधिकारीयों और कर्मचारियों के चलते हर महीने की 20 तारीख़ को नरेश सिंह के खाते में 41 हज़ार भेजे जाते रहे. पिछले शुक्रवार को हुई सिपाही की मौत के बाद परिवारीजनों ने इसकी सूचना विभाग को दी. पुलिस अधीक्षक अनिल कुमार ने बताया कि, सिपाही को बिना ड्यूटी पर आये बिना वेतन दिया जाना काफी गंभीर मामला है. पुलिस लाइन की जीडी शाखा और कैश पटल की मिलीभगत से यह खेल हुआ है. आखिरकार साढ़े तीन साल तक लगातार चूक कैसे हो सकती है? उन्होंने कहा कि पूरे प्रकरण में जांच चल रही है. रिपोर्ट आते ही कार्रवाई की जाएगी. किसी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा.