कानपुर:-प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही पत्रकारों के मामले में गस्टेड अधिकारी की जांच के बाद एफआईआर दर्ज करनें की बात मंचों से कहते है लेकिन उत्तर प्रदेश पुलिस अभी भी आपराधिक सिंडिकेट की पैरवी करके पत्रकारों पर मुक़दमा बगैर जांच के ही करनें पर आमादा है ताजा मामला उस समय प्रकाश में आया जब एक दैनिक समाचार पत्र के छायाकार अरूण कश्यप को दिनदहाड़े हरबंस थानान्तर्गत हिस्ट्रशीटर लाखन.मनीष बाजपेई और उसके अन्य 20अज्ञात साथियों ने बाईक में जबरन बैठाया फिर मुंह में कपड़ा ठूंसकर अपहरण कर शरिया कट्टों से मारपीट की किसी तरह छायाकार अरूण अपहरणकर्ताओं के चंगुल से भाग निकला और सीधे हरबंस मोहाल थाने पहुंचा वहां अपने साथ हुई घटना की तहरीर दी हद तो तब हों गई की अरूण की तेहरीर के चंद घंटों बाद आरोपियों ने अरूण को एक महिला से छेड़छाड़ के फर्जी मुकदमे में फंसा दिया। सोचनीय विषय यहां य़े है के जो महिला अरूण पर आरोप लगा रही है उसका कहना है के अरूण उसे गत 4 महीनों से छेड़ रहा था यदि यह सही है तो महिला 4महीनों से कहां थी 4महीनों में एक बार भी महिला ने किसी भी थाने में रिपोर्ट नही लिखाई और हरबंस मोहाल पुलिस की जितनी तारीफ की जाये वो कम है बिना जांच किये ही अरूण पर 354का मुक़दमा लिख दिया अब बताये यदि हिस्ट्रशीटर एक छायाकार को यूं ही झूठे मुकदमों में फंसायेगे तो हौसला हिस्ट्रशीटरो का बढ़ेगा और कानपुर के सारे पत्रकार षडयंत्र के तहत जेल में नजर आयेंगे।
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सीओ कलक्टर गंज के आदेश के बाद अरूण के साथ हुई बर्बरता के वीडियो फुटेज हरबंस मोहाल को प्राप्त हों चुके है पर पुलिस ने अभीतक एक भी आरोपी को गिरफ्तार नही किया