श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत 11 अगस्त 2020 मंगलवार को वृद्धि और सर्वार्थसि

11 AUG 2020
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पंडित मारकंडेय दुबे 

झारखंड-वर्ष 2020 में श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत 11 अगस्त 2020 मंगलवार को वृद्धि और सर्वार्थसिद्धि योग में सर्वत्र मनाई जाएगी ।
जन्माष्टमी में रात्रि के समय अष्टमी तिथि होना अनिवार्य है l इसमें उदया तिथि में अष्टमी होना अनिवार्य नहीं है l किंतु रात्रि में मध्य रात्रि के समय अष्टमी तिथि का होना अनिवार्य है । 
(निर्णय सिंधु से)

द्वापर में जब भगवान श्री कृष्ण का अवतार हुआ था उस समय मध्य रात्रि में वृषभ लग्न और वृषभ के चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में थे । संयोग बस  श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत में लग्न तिथि और नक्षत्र कभी-कभी मिल पाते हैं । हृषीकेश पंचांग के अनुसार वर्ष 2020 में अष्टमी तिथि का प्रारंभ 11 अगस्त 2020 को प्रातः 6:14 से आरंभ हो रहा है l 

अन्य पंचांग इसे प्रातः 9:06 से प्रारंभ होना बता रहे हैं l
 अष्टमी तिथि की समाप्ति 12 अगस्त 2020 बुधवार को प्रातः 8:01 पर हो जा रहा है l (हृषीकेश पंचांग के अनुसार) अन्य पंचांगों के अनुसार दिन में 11:15 पर 12 अगस्त को अष्टमी तिथि की समाप्ति हो रही है ।

वर्ष 2020 की जन्माष्टमी रोहिणी नक्षत्र से रहित होगी, अर्थात इस वर्ष जन्माष्टमी में रोहिणी नक्षत्र की उपस्थिति नहीं रहेगी l रोहिणी नक्षत्र रात्रि में नहीं मिल रही है । 11 अगस्त 2020 को भरणी नक्षत्र रात्रि 11:18 तक है उसके बाद कृतिका नक्षत्र का आरंभ हो जाएगा ।


 इस वर्ष जन्माष्टमी का उपवास और पूजन कृतिका नक्षत्र में होगा l भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव भी कृतिका में ही किया जाएगा ।अष्टमी तिथि में उपवास और नवमी में पारण करने की शास्त्रीय व्यवस्था है l पारण 12 अगस्त 2020 को दिन में 8:01 के बाद किया जा सकेगा ।
स्मार्त्तो की जन्माष्टमी 11 अगस्त 2020 को और वैष्णव संप्रदाय साधु संत महात्माओं की अष्टमी 12 अगस्त 2020 बुधवार को होगी l इसमें कोई संशय नहीं है।

पंचांगकारों ने स्पष्ट कर दिया है कि स्मार्त्तो की जन्माष्टमी  11 अगस्त को और वैष्णो संप्रदाय की जन्माष्टमी 12 अगस्त को 2020 में मनाई जाएगी l 

जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण के मंत्र :- 

कृष्णाय वासुदेवाय हरए परमात्मने l

प्रणत: क्लेश नाशाय गोविंदाय नमो नमः ll

मंत्र का जप करने से शनिदेव की साढ़ेसाती, ढैया और महादशा से प्राप्त पीड़ा में कमी आती है l शनि देव के पीड़ा से मुक्ति हेतु करें जप।


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