लखनऊ-विधायको की बगावत के बाद मायावती हुई अखिलेश पर हमलावर।1995 की घटना का किया ज़िक्र, जिसे भूल कर आगे बढ़े। चुनाव में सपा को लाभ नहीं मिला। चुनाव बाद हमने कई बार फोन किया नहीं उठा।1995 के केस को वापस लेना ग़लत फैसला था। 2 जून 1995 की टीस बरक़रार सतीश चंद्र मिश्रा पर दबाव बनाया गया था केस वापस लेना भाजपा से मिले होने का आरोप बेबुनियाद।
सतीश चंद्र मिश्र ने अखिलेश यादव से बात करने की कोशिश की लेकिन फोन नहीं उठा। प्राइवेट सेक्रेटरी ने भी बात नहीं कराई।राम गोपाल से बात हुई, उन्होंने सिर्फ एक सीट पर चुनाव लड़ने की बात कही।वार्ता के बाद रामजी गौतम को उतारा गया।कांग्रेस ने रामजी गौतम का अपमान किया था। जिसकी वजह से रामजी गौतम को उतारा।सपा ने साज़िश रची, झूठा हलफनामा दिलाया गया।हमारे 7 विधायकों को तोड़ा गया।ये हरकत भारी पड़ेगी।एमएलसी के चुनाव में बसपा जैसे को तैसा का जवाब देने के लिये पूरी ताकत लगा देगी। बीजेपी को वोट देना पड़ेगा तो भी देंगे।
एमएलसी के चुनाव में सपा के दूसरे उम्मीदवार को हराने के लिए पूरा ज़ोर लगाएंगे।एमएलसी चुनावों में बसपा bjp को समर्थन देगी।: मायावती
यही डील हुई थी??
2003 में अखिलेश के पिता श्री ने भी यही ग़लत काम किया था। 2007 में हमारी सरकार बन गयी।