प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा भेजने पर राजी थी कांग्रेस लेकिन एक 'बड़े नाम' ने बिगाड़ा खेल

11 MAR 2020
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मध्य प्रदेश:-मध्य प्रदेश में सियाशी दाव पेंच के बीच कल मध्य प्रदेश:कांग्रेस छोड़कर भाजपा के साथ जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया के दल बदल की पटकथा पिछले साल अपने निधन से पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली लिख गए थे। लेकिन जेटली की बिगड़ी सेहत और फिर निधन ने सिंधिया के कदम तब रोक दिए थे, और वह सही मौके की तलाश करने लगे थे। राज्यसभा चुनावों ने उन्हें यह मौका दिया और सिंधिया ने जेटली के जमाने में लिखी गई अपने भाजपा प्रवेश की अधूरी पटकथा को अब पूरा कर दिया।

हालांकि उस वक्त में कांग्रेस नेतृत्व सिंधिया को मध्यप्रदेश से राज्यसभा में भेजने और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाने को तैयार हो गया था,लेकिन सिंधिया की तीसरी बड़ी शर्त कि राज्यसभा की दूसरी सीट पर दिग्विजय सिंह की जगह किसी अन्य ओबीसी नेता को भेजा जाए, को मानने से कांग्रेस    नेतृत्व ने इनकार कर दिया। 

बता दी कि पिछले साल अपने टि्वटर हैंडल में अपनी पहचान से कांग्रेस को अलग करके सुर्खियों में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से अपनी बढ़ती दूरी का संकेत दे दिया था। मध्यप्रदेश में पिछले दिनों उनका यह बयान कि अगर वादे पूरे नहीं हुए तो वह सड़कों पर उतरेंगे, बहुत कुछ संकेत दे गया था। रही सही कसर मुख्यमंत्री कमलनाथ के इस बयान ने पूरी कर दी कि वह (सिंधिया) सड़कों पर उतरें उन्हें रोका किसने है। 

राजनीतिकार बताते है की सिंधिया दरअसल कांग्रेस से निकलने और भाजपा में जाने वाली अपनी सियासी फिल्म की उस पटकथा को पूरा कर रहे थे, जिसे बीते साल अगस्त में उन्होंने भाजपा नेता अरुण जेटली के साथ मिलकर लिखनी शुरु की थी और तभी उनकी भाजपा के साथ खिचड़ी पकनी शुरु हो गई थी अगर तब अरुण जेटली का निधन नहीं हुआ होता तो जो अब हुआ है सिंधिया तभी भाजपा में शामिल होकर केंद्रीय मंत्री बन चुके होते। लेकिन बीच राह में जेटली के पहले अस्पताल चले जाने और फिर दुनिया से चले जाने की वजह से सारा खेल बिगड़ गया।

बताया जाता है कि बीते साल अगस्त में ज्योतिरादित्य सिंधिया एक जाने माने मीडिया घराने की एक शिखर हस्ती के साथ अरुण जेटली से उनके घर पर मिले थे। वहां उस मीडिया मुगल ने जेटली से आग्रह किया कि ज्योति के राजनीतिक भविष्य को लेकर कुछ करें। तब जेटली ने सुझाव दिया कि सिंधिया के पास भाजपा में शामिल होने के सिवा कोई विकल्प नहीं है और उन्हें यह फैसला जल्दी लेना चाहिए। 

उस वक्त तब सिंधिया ने कहा था कि भाजपा अगर उन्हें मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाए तो वह कम से कम दो दर्जन विधायकों को साथ लेकर भाजपा में आ सकते हैं। लेकिन जेटली ने कहा था कि सिंधिया को सीधे मुख्यमंत्री बनाना मुमकिन नहीं है क्योंकि भाजपा के मध्यप्रदेश के दिग्गज नेता शिवराज सिंह चौहान, नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय आदि इसे मंजूर नहीं करेंगे और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह इसके लिए एकदम तैयार नहीं होंगे।


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